Principal's Message

Principal’s Message For Our Shantiniketan

Dr. Govind Sharan Singh Principal RPTC

वृहदारण्यकोपनिषद से उद्धृत प्रस्तुत श्लोक को धरातलीय पृष्ठभूमि पर अंगीकृत करने का प्रयास महाविद्यालय का है। इसका अर्थ है, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। इस आदर्श वाक्य को प्रयोग के धरातल पर उकेरने के लिए संकल्पबद्ध राजेन्द्र प्रसाद तारा चन्द महाविद्यालय की स्थापना 28 जनवरी 2012 को हुई। महाविद्यालय की प्रबन्ध संचालिका एवं भूतपूर्व ब्लाक प्रमुख श्रीमती राजपती देवी के कर कमलों द्वारा भूमिपूजन कर इसकी आधारशिला रखी गई। 

महर्षि वाल्मिकी की तपोस्थली एवं राजा रत्नसेन की कर्मभूमि परन्तु महराजगंज जनपद के उत्तरी सीमावर्ती भाग एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अति पिछड़े क्षेत्र में स्थापित इस महाविद्यालय का 01 जुलाई 2012 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सभापति मा० श्री गणेश शंकर पाण्डेय जी के कर कमलों द्वारा लोकार्पण किया गया ।

डॉ० गोविन्द शरण सिंह

मानव को अधिक परिपक्व, समझदार और प्रबुद्ध बनाने में शिक्षा की भूमिका प्रत्येक युग में बेहद प्रभावी रही है। चाहे अनौपचारिक रूप से घर, बाहर, माता-पिता, दादी, नानी, पड़ोसियों द्वारा सिखाये गये संस्कार हो या वैदिक वाचिक परम्परा से मकतब मदरसे तक औपचारिक शिक्षा पद्धतियां, निःसंदेह शिक्षा का मानव व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 

पूर्व और पश्चिम के ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता-संस्कृति के सतत सम्पर्क के बाद धीरे-धीरे यह बात समझ में आने लगी कि ज्ञान का विस्तार अनन्त है और तकनीकों ज्ञान-विज्ञान को किसी देश क्षेत्र या समुदाय विशेष की परिधि में नहीं बाधा जा सकता। पूरब जहाँ पश्चिम में इंजात किये गये अनूठे आविष्कारों और तकनीकों जैसे-ग्रामोफोन, रेडियो, टी०वी०, इंजन एवं हवाई जहाज को देखकर गौरवान्वित था तो पश्चिम-पूरब की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत कला, स्थापत्य, साहित्य, आयुर्वेद, योग, धर्म-दर्शन को देखकर दांतो तले उंगली दबा रहा था। 

ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में निरन्तर नये नये उन्नत शोध विश्व के प्रत्येक कोने में हो रहे है और प्रत्येक शोध एक नये प्रगामी शोध की सम्भावनाओं को उद्घाटित कर रहा है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि प्रत्येक नई खोज में आगामी एक बेहतर खोज के बीज छिपे है। वास्तव में शिक्षा अपने अज्ञान की एक प्रगतिशील खोज ही है, ज्योज्यो हम ज्ञान के अथाह सागर में डुबकी लगाते हैं इससे प्राप्त अनुभव के मोती हमें इस बात का एहसास कराते हैं कि अभी मैंने बहुत कम जाना है और बहुत कुछ जानना शेष है।

अपने स्थापना वर्ष सत्र 2012-13 से ही महाविद्यालय मे स्नातक कला व विज्ञान संकाय संचालित है। छात्र-छात्राओं को अनुशासन व राष्ट्रप्रेम का समावेश करने हेतु रोवर्स रेंजर्स की एक-एक इकाइयाँ भी स्थापना सत्र से संचालित हो रहीं हैं। व्यावसासिक शिक्षा हेतु स्नातक स्तर पर शिक्षा संकाय (बी०एड०) प्रारम्भ करने हेतु महाविद्यालय ने निर्णय लिया तथा सत्र 2015 से बी0एड0 पाठ्यक्रम में 100 सीटों की प्रवेश क्षमता सहित स्ववित्तपोषित योजना अन्तर्गत कक्षाएं प्रारम्भ हो गई। 

वर्ष 2016 से महाविद्यालय के सभी विषयों में विश्वविद्यालय व शासन द्वारा स्थाई सम्बद्धता प्राप्त है। वर्ष 2017 से कला संकाय के अन्तर्गत पांच अतिरिक्त विषयों अंग्रेजी साहित्य, भूगोल, चित्रकला, शारीरिक शिक्षा व कम्प्यूटर एप्लीकेशन व विज्ञान संकाय के अन्तर्गत तीन अतिरिक्त विषय कम्प्यूटर साइंस, कम्प्यूटर एप्लीकेशन व सैन्य विज्ञान का संचालन हो रहा है। महाविद्यालय में सत्र 2017-18 से डी०एल०एड० (बी०टी०सी०) एवं इसी को NIOS (National Institute of Open Schooling) को द्वारा अलग-अलग संचालित किया जा रहा है।

भारतीय मान्यताओं संस्कारों, राष्ट्रीय गौरव व स्थानीय कलाओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने तथा छात्र-छात्राओं में अन्तर्निहित सांस्कृतिक क्षमता के प्रस्फुटन हेतु उपयुक्त वातावरण प्रदान करने हेतु समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जायेगा जिसमें छात्र-छात्राएँ प्रतिभाग कर अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित हो सकेंगे।

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